Friday 29 October, 2010

हँसना






हँसना नवजात का इस दुनिया मे आना,



और मुस्कुरा कर सब को अपना बना लेना,



हँसना रवि की प्रथम किरण सा,



हँसना पूर्णिमा के चाँद सा,



हँसना तारो का जिलमिलाना



हँसना आकाश मे उड़ते पंछी सा,



हँसना कानन के नवजात हिरन सा,



हँसना तपती धुप मे ,



पेड़ की निर्मल छायासा,



हँसना दूसरों की मुस्कराहट मे ,



अपनी हंसी खोजना !



हँसना इसी का नाम है !

2 comments:

  1. बहुत अच्‍छे चित्र और बहुत अच्‍छी कविता।

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  2. इस मुस्कान ने तो मेरे मन को महका दिया!

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