
यह क्या !
इतना नन्हा सा ख़त
जो तुमने मुझे जवाब में भेजा !
जो तुमने मुझे जवाब में भेजा !
क्या तुमसे यह नन्हा ख़त भी
नहीं भरा गया
अपनी नोट बुक से फाड़ा गया
छोटा सा कागज टुकड़ा भी
नहीं भरा गया............
प्यार के दो लफ़्ज जो
प्यार के दो लफ़्ज जो
जो दिल कि ...........
जो दिल की गहराईयो से निकलकर
सब तरफ़ रोनक व खुशिया
सब तरफ़ रोनक व खुशिया
बिखेर देते हें........
लेकिन नहीं ........
तुमसे नहीं लिखा गया ........
तुम mausam के बारे में लिख सकते थे
या कोई ऐसी बात जिसके बारे में
लोग तब कहते हें
जब उनके पास बात करने के लिए
कुछ नहीं होता ,
जैसे की...........
चाँद तारों के बारे में लिख सकते थे
लेकिन नहीं..........
इतना नन्हा सा ख़त भी
तुमसे नहीं भरा गया .......
अपनी नोट बुक से फाड़ा गया
एक नन्हा सा पन्ना भी.........
अगर मै .................
तुम्हे ख़ुद लिखने बैठती हू..........
तो जगह भी कम पड़ती है ..............
अगर मै .................
ReplyDeleteतुम्हे ख़ुद लिखने बैठती हू..........
तो जगह भी कम पड़ती है ..............
वाह लाजवाब रचना. बहुत खूबसूरत.
रामराम.
आपका का ख़त पढ़ा, अच्छा लगा. यूँ ही ख़त लिखते रहिये, अगले ख़त के इंतज़ार में.
ReplyDeleteachcha ijhaar hai.....
ReplyDeletebeautiful...shikayat bilkul vaajib hai...aur pyaari bhi.
ReplyDeleteख़त तो पूरा ही लिखा होना चाहिए ..
ReplyDeleteअन्यथा उसका मज़ा नहीं..
बहुत सुन्दर रचना हे आपकी..
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteचाँद तारों के बारे में लिख सकते थे
ReplyDeleteलेकिन नहीं..........
इतना नन्हा सा ख़त भी
तुमसे नहीं भरा गया .......
उलाहना देने का बहुत ही गहरा भाव छिपा है इन पंक्तियों में।
आपकी ये गुजारिश बहुत प्यारी लगी ....
ReplyDeleteशुक्रिया पूर्णिमा
ReplyDeleteशुक्रिया पूर्णिमा
ReplyDeleteशुक्रिया पूर्णिमा
ReplyDeleteख़त अधुरा तो था मगर था बहुत प्यारा....
ReplyDeleteउम्मीद कि अगली ख़त में चाँद- तारें की बात जरुर होगी.
खूबसूरत खत ..इसमे आपने गहराई से लिखा है ...पढ़ने को मजबूर किया है । लेखनी जारी रखिए । शु्क्रिया
ReplyDeleteखूबसूरत खत ..इसमे आपने गहराई से लिखा है ...पढ़ने को मजबूर किया है । लेखनी जारी रखिए । शु्क्रिया
ReplyDeleteएक सुन्दर और सफल प्रयास.
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत अच्छी कविता है
ReplyDelete---
चाँद, बादल और शाम
मन के खूबसूरत जज़्बात की
ReplyDeleteउम्दा तर्जुमानी ...........
अच्छा ख़त
बहुत अच्छी नज़्म .........
बधाई . . . . . . .
---मुफलिस---
अगर मै .................
ReplyDeleteतुम्हे ख़ुद लिखने बैठती हू..........
तो जगह भी कम पड़ती है ..............
Bahut achchha , magar ab khat ka nahi sms ka jamana hai... ek achchha sa sms kar digiye...
Regards
ye khat to bahut badaa hi..
ReplyDeleteis se bhi chhote khat hote hain...in mein hajaaron kisse kahe hote hain.......sainkdon wwayde kiye hote hain...
bas chand alfaz me hi...
बहुत बढ़िया नन्हा सा ख़त ।
ReplyDeleteपूर्णिमा जी प्रथम बार आपके ब्लॉग पर आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,अभी आपकी कोई रचना तो नहीं पढ़ी परन्तु आपका प्रोफाइल पढ़ कर ही ये कमेन्ट लिखने को बाध्य हो गया हूँ ,बहुत कम लोग होतें है जो जीवन की उमंगो को पहचान कर उन्हें जी लिया करते है आपके ज़ज्बे को मेरा सलाम
ReplyDeleteये लो पूर्णिमा जी हम आप की रचना पढ़ कर आप से संवाद करने भी आ गए आप का ख़त -नन्हा सा ख़त पढ़ कर हम बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो गए -वाकई सृष्टी में औरत से ज्यादा संवेदनशील कोई भी नहीं ...इसके प्यार की गहराई भी अथाह है और ऊंचाई भी ...अब देखिये न बात पत्र की चल रही है उसने तो नोट बुक के एक पन्ने को भी पूरा नहीं भरा लेकिन ये नारीमन का प्रेम और हौसला की
ReplyDeleteअगर मै .................
तुम्हे ख़ुद लिखने बैठती हू..........
तो जगह भी कम पड़ती है ..............
...................पुनश्च: उमंगो को सलाम
आपको परिवार सहित होली पर्व की हार्दिक बधाई और घणी रामराम.
ReplyDeleteइतना नन्हा सा ख़त भी
ReplyDeleteतुमसे नहीं भरा गया .......
अपनी नोट बुक से फाड़ा गया
एक नन्हा सा पन्ना भी.........
khat likhne wale ne kam shabdo me adhik bate likhi hogi,
bahut hi khoobsurat rachana.
--------------------------------------------------"VISHAL"
अगर मै .................
ReplyDeleteतुम्हे ख़ुद लिखने बैठती हू..........
तो जगह भी कम पड़ती है ..........
अंतिम पंक्ति में भाव अपनी समग्रता के साथ प्रकट होता है,कविता सुन्दर लगी ....
अच्छी रचना लगी..धन्यवाद...
ReplyDeletehi...nice to go through your blog...well written...by the way which typing tool are you using for typing in Hindi...?
ReplyDeleteNow a days typing in an Indian Language is not a big task.
recently i was searching for the user friendly Indian Language typing tool and found .." quillpad ". do u use the same...?
heard that it is much more superior than the Google's indic transliteration..!?
expressing our feelings in our own mother tongue is a great experience...so it is our duty to save, protect,popularize adn communicate in our own mother tongue...
try this, www.quillpad.in
Jai...Ho....
achha likha hai...ek do jagah paragraph badalne ki zaroorat mujhe feel huyii..."mausam' angrezi mein likha gaya hai,usko hindi font mein badal le...
ReplyDeleteपूर्णिमा जी बहुत खूसूरत कविता !
ReplyDeleteकहीं ऐसा तो नहीं कि पहला ख़त हो :
"प्यार का पहला ख़त लिखने में देर तो लगती है .... "
(जगजीत जी की गाई गजल सुनी है न ?)
वैसे जब आत्मीयता हो अलिखा भी समझ आता है
जब बहुत कुछ कहने को जी चाहता है तो
कुछ भी कहने को जी नहीं चाहता !!!
beautiful poetry...
ReplyDeleteits too good....main likhne baithtee to jagah bhi kam padh jatee....really nice feeling...hv no words...
ReplyDeleteप्यारा बहुत प्यारा ... इस लिखावट पर प्यार आया
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने
खत लिखा तो है. कभी कभी बिन लिखे खत भी बहुत कुछ कहते है. एक बार फिर से तो पढिए.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
बहुत ही प्यारे भाव हैं। शायद इसे ही प्यार कहते हैं/।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
इष्टमित्रों और परिवार सहित आपको, दशहरे की घणी रामराम.
ReplyDeleteरामराम.
pyar se bheja gaya kora kagaj bhi bahut badi baat kah deta hai.
ReplyDeletegud 1
ReplyDeleteशिकायत का अंदाज़ निराला...छोटा सा कागज का टुकड़ा भी नहीं भरा गया...? बधाई. ..
ReplyDeleteतुमसे नहीं भरा गया .......
ReplyDeleteअपनी नोट बुक से फाड़ा गया
एक नन्हा सा पन्ना भी.........
bahot sahi keep it up....
frm my self inspiration ye jindgi me aksar hota hi hai.
सुन्दर कविता
ReplyDeletebahut hi pyara likha hai...
ReplyDeleteA Silent Silence : Teri yaadon ki khushboo..(तेरी यादों की खुशबू..)
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बहुत कुछ कहता है "नन्हा सा ख़त" - हार्दिक शुभकामनाएं
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