Friday 9 January, 2009

झील में रवि...............


झील में रवि का निकलना...............

मानो जन्नत का , धरती पर आ जाना ,

और अपनी लालिमा को इस तरह बिखेरना की .........

जैसे ..........

बच्चा अपनी माँ की गोद में बेठा हें ..........

और जिसे किसी का डर नही .........

जैसे .........

सागर में लहरे इस तरह हिचकोले खा रही हें ...........

की आज सारा सागर हमारा हें,

आज रवि भी अपनी पूरी छटाओं के संग निकला हें ,

धरती पर चारो और अपनी लालिमा बिखेरता हुआ,

और ऐसा लगता हें मानो,

झील के संग.......... रवि की लालिमा ..........

आज पूरे अधूरे सपनो को साकार कर देगा ,

और इस धरती पर एक बार फ़िर ईश्वर जन्म लेगा ..............

और .............

रवि अपनी लालिमा से ...........एक बार फ़िर ,

इस धरती पर , जन्नत का नूर बरसायेगा .........
जैसे झील में रवि का निकलना .........................



4 comments:

  1. बहुत अच्छी लगी

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  2. इस धरती पर एक बार फिर ईश्वर जन्म लेगा ... ... .
    झील के संग ... ... .
    रवि की लालिमा में ... ... .

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  3. aapne bahut sundar likha hai,aap aise hi sundarta se likhte rahe,aisi hi subhkamana hai,aap kabhi hamare blog par aaiye,aap ka swagat hai.
    http://meridrishtise.blogspot.com

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